भारतीय ऊर्जा उत्पादन और विकसित करने के क्षेत्र में, सुजलॉन एनर्जी लिमिटेड ने अपने नाम को विश्वस्तरीय स्तर पर स्थापित किया है। लेकिन हाल ही में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इस कंपनी पर एक भारी जुर्माना लगाया है, जिससे उसकी चर्चा में तेजी से बढ़ावा हो रहा है।
इस जुर्माने के पीछे का कारण है आयकर विभाग के नेशनल फेसलेस एसेसमेंट सेंटर की एक निर्णयात्मक कार्रवाई। यह सेंटर ने एसेसमेंट ईयर 2016-17 और 2017-18 के दौरान सुजलॉन एनर्जी के खिलाफ कार्रवाई की है।
सुजलॉन एनर्जी लिमिटेड आयकर जुर्माना और समाधान
रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में अपनी प्रमुख स्थिति बनाने वाली कंपनी, सुजलॉन एनर्जी लिमिटेड (Suzlon Energy Ltd) को आयकर विभाग ने 260.35 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। यह निर्णय इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के नेशनल फेसलेस एसेसमेंट सेंटर द्वारा एसेसमेंट वर्ष 2016-17 और 2017-18 के मामले में लिया गया है।
इस जुर्माने का मुख्य कारण है गुडविल पर आधारित डेप्रिसिएशन के क्लेम को अस्वीकार करना। इस परिणामस्वरूप, कंपनी को भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, इस स्थिति में कंपनी के द्वारा कदम उठाए जा रहे हैं ताकि इसमें समाधान हो सके। उन्होंने अपील करने की प्रक्रिया शुरू की है और न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से इस मुद्दे को हल करने का प्रयास किया जा रहा है।
सुजलॉन एनर्जी अपील और कंपनी की दृष्टि
सुजलॉन एनर्जी लिमिटेड ने आयकर विभाग द्वारा लगाए गए जुर्माने के खिलाफ आपत्ति दर्ज की है। उनका कहना है कि पहले के न्यायिक आदेशों को ध्यान में रखते हुए, उन्हें इस मामले में अपील करने का पूरा अधिकार होना चाहिए। वे मानते हैं कि जब तक अपील की सुनवाई पूरी नहीं होती, तब तक पेनाल्टी की कार्रवाही को रोक दिया जाना चाहिए।
उनका मानना है कि अपील फिलहाल ट्राइब्यूनल के पास पेंडिंग है, और इसलिए जब तक इस मामले में अपील की सुनवाई पूरी नहीं होती, तब तक पेनाल्टी ऑर्डर को लागू नहीं किया जाना चाहिए।
सुजलॉन एनर्जी अपील और न्यायिक प्रक्रिया में सक्रियता
सुजलॉन एनर्जी के बयान के अनुसार, कंपनी ने अपीलेट/न्यायिक फोरम के सामने पेनाल्टी को चुनौती देने की प्रक्रिया में हिस्सा लिया है और वह केस के तथ्यों के आधार पर अपने पक्ष का बचाव करने का पूरा भरोसा करती है।
कंपनी ने बताया कि पेनाल्टी सम्बंधित सेक्शन 14ए के तहत 35.11 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है, जबकि सेक्शन 32 (1) के तहत गुडविल से जुड़े डेप्रिसिएशन को अस्वीकार करने को लेकर 132.48 करोड़ का जुर्माना लगाया गया है। इसके अलावा, लेट पेमेंट के मामले में पेनाल्टी लगाई गई है।